Monday, August 29, 2022

हे चन्दा आय बिसरल किया बेर"

 (आजु हमर पोता दर्श के जन्मदिन छैन्ह .......हुनका चन्दा मामा वाला गीत सब बड़ पसिंद पडैत छैन्ह ................कतबो कानैत  रहैत छथि गाना सुनतहि चुप्प भs जायत छथि .ई चन्दा मामा केर गीत हुनके लेल हुनकर पहिल जन्मदिन पर।)


हे चन्दा आय बिसरल किया बेर"

हे चन्दा आय बिसरल किया बेर, हे चन्दा केलहुं बहुत अबेर
बौआ हमर बाट तकैत छथि 
नहि बुझियौ आब सबेर 
हे चन्दा ....................

छवि हुनके मुखचन्द्र समायल, जे हमरो छथि बिसेस 
हे चन्दा, उतरू जाहि छी भेष, 
हे चन्दा कानल बौआ अनेर, 
हे चन्दा….................

चन्दा मामा दूर रहथि किया, कहथि ओ हमरा घेरि 
नहि जायथि हमरा छोरि 
जा कहियौन नहि करथि ओ देर
हे चन्दा........................

रुसल दर्श हम कोना मनायब, कहियौ नहि एक बेर 
हे चन्दा, नहि हँसथि छथि मुंह फेर 
हे उगियौ हेतय आब सबेर 
हे चन्दा...............................

कान्ह भिजल आ मोन बेकल अछि, नहि देखैत छथि एको बेर
हे कहथि, दाइ नहि किछुओ लेब
नहि मानथि मामा के बेर
हे चन्दा ................................

-कुसुम ठाकुर-

Monday, April 18, 2022

कौआ कुचरय भोरे सs


(आय भोरे उठलहुं तs मोनक भावना के नहि  रोकि  सकलहुं )

"कौआ कुचरय भोरे सs"
पांति लिखय छी हम पिया आय कौआ कुचरय भोरे सs
मोन बेकल अछि आंगन अयलहुँ कौआ कुचरय भोरे सs
मोन में शंका नहि कनिको अछि बैस गेलहुँ हम द्वारे पर
बाट तकैत छी बरस बीति गेल कौआ कुचरय भोरे सs
कही ककरा सs मोनक व्यथा हम नहि बनल मन मीत कियो
मोन में धयने गपक पेटारा कौआ कुचरय भोरे सs
नहि रहल सुध बुध कोनो आब हमरा लोक कहय बकलेल
सबटा बुद्धि अहाँ सs बंधल अछि कौआ कुचरय भोरे सs
हंसी ठठ्ठा त सब करय छी हृदय रहय तैयो भारी
आयब कहिया आबो कहु ने कौआ कुचरय भोरे सs
आँखि खुजल तs ठाढ़ सब छल भौजी काकी आ बाबी
कही ककरा सs अहां नहि आयब कौआ कुचरय भोरे सs
सपना में तs आस रहैत अछि सपना नहि कहियो टूटे
जिबि रहल छी नींद में बुझू कौआ कुचरय भोरे सs
© कुसुम ठाकुर

 

Saturday, May 2, 2020

अछि सन्देश

"अछि सन्देश"

समृद्ध भाषा 
मैथिली मिथिलाक
जायत हेरा

लाज होइछ
बाजब कोना भाषा
पढ़ल हम

दोषारोपण
नेता अभिभावक
नहि कर्त्तव्य

देशक नेता
नहि जनता केर
स्वार्थे डूबल

करू ज्यों स्नेह
माँ आ मातृभाषा सँ
संकल्प लिय

आबो तs जागू
मिथिला केर लाल
प्रयास करू

अबेर भेल
तैयो विचार करू    
अछि सन्देश

 - कुसुम ठाकुर-

Thursday, April 30, 2020

भेला किया विदेह

"भेला किया विदेह"

कोन परदेस पिया मोर गेला, कोना क बिसरब नेह
नहि आयल सन्देश कोना छथि भेला किया विदेह

तकैत रहैत छी बाट अखैन्ह धरि आस नहि धूमिल भेल
नहि कनिको आभास भेल छल नहि कोनो संदेह

क्षण भंगुर स्वप्न होइत छैक प्रीत सदैव सजीव
सिक्त भेल मोन डूबि रहल अछि खोजि रहल सिनेह

चिहुंकि उठल छी, नींद उड़ल अछि, कही केकरा ई क्लेश
मंद मंद मुस्कान ठोढ पर झलकैत छलैथ सदेह

भोरे स कोयल कुहुकि रहल अछि, कौआ कुचरय अनेर
कुसुम कामना नहि किछु बाँचल करि गेला ओ अगेह

© कुसुम ठाकुर





आय करू वहिष्कार

"नहि बाँचल अधिकार"

जे प्रेम स सिंचित करैथ घर द्वार परिवार
मात्र एकदिन बान्हि क कियैक ख़ुशी संसार

1908 में शोषण विरुद्ध क्रांति चलल जाहि आस
सड़क पर उतरल छली की मांग भेलैन्ह स्वीकार

झुनझुना त भेंट गेलैन्ह नहि सम्मानक भास
अधिकार के ओट में नहि बाँचल अधिकार

समानताक मांग करब, नहि राखु कोनो आस
आरक्षण अधिकार नहि आत्मबल स्वराज

जाबैत अबला शब्द रहत नहि स्थिति में बदलाव
शब्द कोष स शब्द के आय करू वहिष्कार

© कुसुम ठाकुर

झहरल नोर कियैक एकहि बेर ?

झहरल नोर कियैक एकहि बेर ?

गेल छलहुँ हम अप्पन गाम
नहि बिसरल खेलल कोनो ठाम
आम लताम कटहल आ लीची
आ चारि पर चढ़ल कुम्हरक लत्ती 

बाबा बरहम तर पोखर भरि गेल
तेतरक झूला आब सपना भेल  
बाट धिया केर देखैत माय सब 
छाहरि स वंचित भ गेल  

निपैत छलहुँ संग सखी बहिनपा
दाइक आशीष घर-बर एहि बेर 
माई केर आँगन त पक्का भेल
निमक छाहरि सम्बन्ध जोरि देल 

बाबाक आगमन संग छड़ी खड़ाऊं
सून दलान देखि मोन परि गेल
श्लोकक पाठ शुरू भेल जतs सँ
सिखायल श्लोक नहीं बिसरय देल

घर में तालाअछि सौंसे धूर(धूल) 
बारिक कल, चट भ गेल
इनार देखि बढल नहि डेग
झहरल नोर कियैक एहि बेर ?

-कुसुम ठाकुर -

कठिन समस्या पारितोषिक केर


अछि परिपाटी पारितोषिक केर
बनल समिति पारितोषिक केर

दी केकरा पारितोषिक से
विकट समस्या पारितोषिक केर

चलू सूचि बना दी संग बैस कs
नहि कोनो समस्या पारितोषिक केर

पहिल मानदंड पुरुष वर्ग हो
पैघ तs उचिते पारितोषिक केर

पाग दोपटा पैघ सम्मान
पुरुष महान पारितोषिक केर

नेता आबथि जाहि मंच पर
सहज प्रचार पारितोषिक केर

एहि सs पैघ सेवा की
उपकृत साहित्यकार पारितोषिक केर 

 © कुसुम ठाकुर

हे चन्दा आय बिसरल किया बेर"

  (आजु हमर पोता दर्श के जन्मदिन छैन्ह .......हुनका चन्दा मामा वाला गीत सब बड़ पसिंद पडैत छैन्ह ................कतबो कानैत  रहैत छथि गाना सुन...