Thursday, April 30, 2020

झहरल नोर कियैक एकहि बेर ?

झहरल नोर कियैक एकहि बेर ?

गेल छलहुँ हम अप्पन गाम
नहि बिसरल खेलल कोनो ठाम
आम लताम कटहल आ लीची
आ चारि पर चढ़ल कुम्हरक लत्ती 

बाबा बरहम तर पोखर भरि गेल
तेतरक झूला आब सपना भेल  
बाट धिया केर देखैत माय सब 
छाहरि स वंचित भ गेल  

निपैत छलहुँ संग सखी बहिनपा
दाइक आशीष घर-बर एहि बेर 
माई केर आँगन त पक्का भेल
निमक छाहरि सम्बन्ध जोरि देल 

बाबाक आगमन संग छड़ी खड़ाऊं
सून दलान देखि मोन परि गेल
श्लोकक पाठ शुरू भेल जतs सँ
सिखायल श्लोक नहीं बिसरय देल

घर में तालाअछि सौंसे धूर(धूल) 
बारिक कल, चट भ गेल
इनार देखि बढल नहि डेग
झहरल नोर कियैक एहि बेर ?

-कुसुम ठाकुर -

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