"भेला किया विदेह"
कोन परदेस पिया मोर गेला, कोना क बिसरब नेह
नहि आयल सन्देश कोना छथि भेला किया विदेह
तकैत रहैत छी बाट अखैन्ह धरि आस नहि धूमिल भेल
नहि कनिको आभास भेल छल नहि कोनो संदेह
क्षण भंगुर स्वप्न होइत छैक प्रीत सदैव सजीव
सिक्त भेल मोन डूबि रहल अछि खोजि रहल सिनेह
चिहुंकि उठल छी, नींद उड़ल अछि, कही केकरा ई क्लेश
मंद मंद मुस्कान ठोढ पर झलकैत छलैथ सदेह
भोरे स कोयल कुहुकि रहल अछि, कौआ कुचरय अनेर
कुसुम कामना नहि किछु बाँचल करि गेला ओ अगेह
© कुसुम ठाकुर
कोन परदेस पिया मोर गेला, कोना क बिसरब नेह
नहि आयल सन्देश कोना छथि भेला किया विदेह
तकैत रहैत छी बाट अखैन्ह धरि आस नहि धूमिल भेल
नहि कनिको आभास भेल छल नहि कोनो संदेह
क्षण भंगुर स्वप्न होइत छैक प्रीत सदैव सजीव
सिक्त भेल मोन डूबि रहल अछि खोजि रहल सिनेह
चिहुंकि उठल छी, नींद उड़ल अछि, कही केकरा ई क्लेश
मंद मंद मुस्कान ठोढ पर झलकैत छलैथ सदेह
भोरे स कोयल कुहुकि रहल अछि, कौआ कुचरय अनेर
कुसुम कामना नहि किछु बाँचल करि गेला ओ अगेह
© कुसुम ठाकुर
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